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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।

उत्तर -

सिद्धान्त

सतत् विकास के कुछ सिद्धान्त, जो महत्वपूर्ण हैं, वे इस प्रकार हैं-

पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण (Conservation of Ecosystem ) - सतत् विकास का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी संसाधनों का संरक्षण करना है। इसका लक्ष्य पारिस्थितिकी तंत्र को सतत् बनाना है। इस उद्देश्य और लक्ष्य के लिए जलीय पारिस्थितिकी तंत्र सहित पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण आवश्यक है।

(2) समाज का सतत् विकास (Sustainable Development of Society) - जनसंख्या वृद्धि से वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ जाती है। समाज की सततता स्वस्थ निवास, संतुलित आहार, पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं, रोजगार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता पर निर्भर करती है। समाज में लोगों के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा महत्वपूर्ण है।

(3) जैव विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity) - विश्व में सभी जीवित प्राणियों के संरक्षण को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। जीवों की रक्षा के लिए लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना सीखना चाहिए। सितम्बर 2020 में वैश्विक जैव विविधता दृष्टिकोण और विश्व वनजीवन कोष (World Wildlife fund WWF) और वर्तमान ग्रह सूची (Living Planet Index), दोनों ने सितम्बर 2020 में जैव विविधता की हानि के विश्लेषण को रोकने और पृथ्वी ग्रह पारिस्थितिकी को मानव गतिविधि के परिणामों का खतरा होने से पूर्व पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बहाल करने के लिए कठोर और तत्काल कार्यवाही की मांग की।

(4) जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) - जनसंख्या वृद्धि से वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ जाती है, और यदि कार्य अपरिवर्तित रहते हैं, तो इसका अर्थ पर्यावरणीय क्षति में वृद्धि है। विश्व की जनसंख्या लगभग 1.7 प्रतिशत वार्षिक लगभग एक सौ मिलियन 1 वर्ष में बढ़ रही है। यह तेजी से जनसंख्या वृद्धि गरीबी और पर्यावरण निम्नीकरण के पारस्परिक रूप से मजबूत प्रभावों को बढ़ाती है। फिर भी पर्यावरणीय निम्नीकरण भी जनसंख्या वृद्धि को बढ़ा सकता है। दासगुप्ता (Dasgupta, 1990) का विचार है कि बच्चों को न केवल पैसा और भोजन कमाने के लिए और सेवानिवृत्ति और बीमा उद्देश्यों के लिए, बल्कि कार्यबल बढ़ाने के लिए भी पैदा किया जाता है। इसलिए, सतत् विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण और प्रबंधन आवश्यक है।

(5) मानव संसाधन का संरक्षण (Conservation of Human Resources) - सतत् विकास के लिए मानव संसाधन संरक्षण एक बड़ी क्षमता है। इसलिए मानव संसाधन का विकास शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और प्रशिक्षण प्रदान करके किया जाता है। सतत् विकास के सिद्धान्त को अपनाने में मानव संसाधन का योगदान होता है। पृथ्वी की देखभाल पर ज्ञान और कौशल विकसित किया जाना चाहिए। वैसे भी मानव संसाधन का संरक्षण एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है।

(6) नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना (Encouraging Citizens ' Participation) – सतत् विकास प्रक्रिया एक पूर्ण अर्थ प्राप्त करेगी यदि नागरिक सतत् विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में पूरी तरह से भाग लेते हैं। कोविड- 19 महामारी ने यह प्रकाश डाला है कि कैसे पर्यावरणीय संतुलन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अधिक लचीले अर्थशास्त्र और समुदायों के निर्माण का प्रयास कर रहे हैं। कोविड- 19 ने कठोर और दर्दनाक अनुस्मारक प्रदान किया है कि सतत् विकास की अवधारणा इतनी महत्वपूर्ण क्यों है।

(7) अन्तर्राष्ट्रीय समन्वय और सहयोग को बढ़ावा देना (Promotion of International Coordination and Cooperation ) - जैविक विविधता की रक्षा के लिए अधिक कार्यनीतिक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यवाही की आवश्यकता है। अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण के मामलों का समाधान सामान्य सिद्धान्तों व प्रोत्साहन और बातचीत द्वारा समर्थित स्वतंत्र देशों के बीच सहयोग के नियमों पर आधारित होना चाहिए। जैविक संसाधनों के लिए समान अन्तर्राष्ट्रीय चिंता के कारण, विकासशील देशों को वित्त पोषण और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए अधिक अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों का एक मजबूत केस है। 31 जुलाई, 2020 को केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री (भारत) ने सतत् विकास लक्ष्यों के लिए BRICS (Brazil, Russia, India, China, South Africa) राष्ट्रों के बीच सर्वोत्तम कार्यों को साझा करने की मांग की गई।

विशेषताएं

सतत् विकास के क्षेत्र और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आर्थिक विकास की योजना बनाते समय इन सुविधाओं को लागू करने की आवश्यकता है-

(i) ग्रीनहाउस गैसों के उत्पाद को कम करना, जो प्रत्यक्ष रूप से ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण में योगदान देते हैं;

(ii) हरित वास्तुकला (Green Architecture) के निर्माण जैसे पर्यावरण हितैषी कार्यों पर जोर देना;

(iii) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे-सूरज, हवा, पानी आदि को प्रमुखता और कार्यान्वयन;

(iv) जीवन रूपों और जीवों के प्राकृतिक आवासों का सम्मान और सुरक्षा करते हुए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण; तथा

(v) नवीकरणीय स्रोतों के उत्पादन को पार करने से उपभोग की दर को नियंत्रित करना। 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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